नचिकेता और यमराज के सवाल-जवाब

यह कहानी एक छोटे से लड़के नचिकेता की है, जो अपनी जिज्ञासा और साहस के लिए प्रसिद्ध हुआ। नचिकेता एक ब्राह्मण परिवार से था और उसकी इच्छा थी कि वह जीवन के वास्तविक उद्देश्य को समझ सके।

एक दिन, उसके पिता यज्ञ कर रहे थे और उन्होंने यज्ञ के दौरान दिए जाने वाले दान को लेकर बहुत सी भस्मियाँ, गायें और अन्य सामग्री दीं। लेकिन नचिकेता ने देखा कि उसके पिता कुछ सामान ऐसे ही दे रहे थे, जो उनकी आवश्यकता पूरी नहीं कर रहे थे। उन्होंने अपने पिता से पूछा, “पिता जी, आप क्या दान कर रहे हैं, क्या यह आपके पास का सबसे अच्छा और मूल्यवान सामान नहीं है?”

पिता ने गुस्से में आकर कहा, “तुम खुद को यमराज के पास भेज दो!” नचिकेता ने यह आदेश स्वीकार किया, क्योंकि वह जानना चाहता था कि मृत्यु के बाद क्या होता है। नचिकेता यमराज के पास पहुंचा, लेकिन यमराज उस समय घर पर नहीं थे। वह तीन रातें यमराज के घर के बाहर इंतजार करता रहा।

जब यमराज वापस लौटे, तो उन्होंने देखा कि एक बच्चा उनके घर के बाहर खड़ा है। वे नचिकेता से बहुत प्रभावित हुए और कहा, “तुमने तीन दिन बिना कुछ खाए और बिना किसी सहायता के बिताए, तुम्हारी इच्छा बड़ी है, तुम कुछ मांग सकते हो।”

नचिकेता ने यमराज से तीन प्रश्न पूछे, जो बहुत महत्वपूर्ण थे। यमराज ने उसकी जिज्ञासा का सम्मान किया और सभी सवालों के जवाब दिए।

  1. पहला सवाल: “मृत्यु के बाद क्या होता है?”
    यमराज ने उत्तर दिया, “मृत्यु के बाद आत्मा अमर होती है। शरीर तो नष्ट हो जाता है, लेकिन आत्मा का कोई अंत नहीं होता। यह आत्मा पुनः जन्म लेती है, और यह चक्र चलता रहता है।”
  2. दूसरा सवाल: “स्वर्ग और नर्क के बीच क्या अंतर है?”
    यमराज ने कहा, “स्वर्ग और नर्क केवल हमारे कर्मों का परिणाम हैं। हमारे अच्छे कर्म हमें स्वर्ग की ओर ले जाते हैं, जबकि बुरे कर्म हमें नर्क में भेजते हैं। लेकिन इन दोनों की स्थायी स्थिति नहीं है, क्योंकि आत्मा को अंततः मुक्ति मिलती है।”
  3. तीसरा सवाल: “क्या यह सत्य है कि आत्मा कभी मरती नहीं?”
    यमराज ने उत्तर दिया, “आत्मा अमर है, यह कभी नहीं मरती। यह केवल शरीर से अलग हो जाती है और फिर किसी और शरीर में प्रवेश करती है।”

नचिकेता ने यमराज के उत्तरों को सुना और फिर उन्हें धन्यवाद दिया। यमराज ने नचिकेता को एक वरदान दिया, जिसमें उसे जीवन के रहस्यों का ज्ञान प्राप्त हुआ और साथ ही उसे लंबे जीवन का वरदान भी दिया।

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