2024 में इज़राइल और लेबनान के बीच एक बार फिर तनाव बढ़ गया है, जब इज़राइल ने शिया समूह हिज़्बुल्ला के ठिकानों पर हवाई हमले किए। इस संघर्ष ने न केवल मध्य पूर्व की सुरक्षा स्थिति को प्रभावित किया है, बल्कि वैश्विक समुदाय में भी चिंता का माहौल पैदा कर दिया है।
इस नए तनाव की शुरुआत 2024 की शुरुआत में हुई जब इज़राइल ने दावा किया कि हिज़्बुल्ला ने उसके उत्तरी सीमाओं के निकट हमले की योजना बनाई थी। इज़राइल के रक्षा मंत्री, बिनjamin Netanyahu ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा, “हम किसी भी प्रकार के खतरे का सामना करने के लिए तैयार हैं। हमारी सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है।”
हिज़्बुल्ला ने इज़राइल के हमलों का जवाब देने की चेतावनी दी है। संगठन के प्रवक्ता, मोहम्मद फहमी ने कहा, “हम इज़राइल के आक्रामकता को बर्दाश्त नहीं करेंगे। अगर वे हमारी सीमाओं पर हमला करते हैं, तो हमें मजबूरन प्रतिक्रिया देनी होगी।”
इस संघर्ष में आम नागरिकों की स्थिति भी चिंताजनक है। लेबनान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि इज़राइल के हवाई हमलों में कम से कम 20 नागरिकों की मौत हुई है और कई अन्य घायल हुए हैं। कई परिवार अपने घरों से भागने को मजबूर हो गए हैं।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने इस संघर्ष पर चिंता व्यक्त की है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने एक बयान जारी कर कहा, “हम सभी पक्षों से शांत रहने और बातचीत के माध्यम से समाधान खोजने की अपील करते हैं।” यह स्थिति न केवल इज़राइल और लेबनान के लिए बल्कि पूरे मध्य पूर्व के लिए चिंता का विषय है, क्योंकि यह किसी भी समय व्यापक संघर्ष में परिवर्तित हो सकती है।
विश्लेषकों का मानना है कि यह संघर्ष क्षेत्र में शक्ति संतुलन को प्रभावित कर सकता है। भारतीय विदेश नीति में मध्य पूर्व की स्थिति पर निगरानी रखी जाती है, क्योंकि भारत यहां के देशों के साथ आर्थिक और कूटनीतिक संबंध स्थापित कर चुका है।
संक्षेप में, इज़राइल का लेबनान पर हमला 2024 की जटिल राजनीतिक और सुरक्षा स्थितियों को उजागर करता है। यह संघर्ष न केवल क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरा है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी तनाव उत्पन्न कर सकता है। अब यह देखना होगा कि क्या दोनों पक्ष एक दार्शनिक समाधान की ओर बढ़ते हैं या स्थिति और अधिक बिगड़ती है