याज्ञवल्क्य और मैत्रेयी की विद्वत्ता
संपत्ति और भौतिक सुख कभी भी आत्मा की शांति और मोक्ष के बराबर नहीं हो सकते।
संपत्ति और भौतिक सुख कभी भी आत्मा की शांति और मोक्ष के बराबर नहीं हो सकते।
हमारे देश भारत में वेदों की बहुत गहरी और पुरानी परंपरा रही है। वेदों में जीवन के उद्देश्य को लेकर