रूस और यूक्रेन के बीच जारी संघर्ष एक विश्वव्यापी चिंता का विषय बन चुका है। 24 फरवरी 2022 को रूस ने यूक्रेन पर आक्रमण शुरू किया, जिससे दोनों देशों के बीच युद्ध की शुरुआत हुई। इस संघर्ष ने न केवल यूरोप, बल्कि पूरी दुनिया को प्रभावित किया है।
संघर्ष की शुरुआत:
रूस ने यूक्रेन के डोनबास क्षेत्र और क्रीमिया को कब्जे में लेने के बाद, पूरे यूक्रेन पर आक्रमण शुरू किया। रूस का आरोप था कि यूक्रेन ने नाटो (NATO) में शामिल होने की कोशिश की, जिससे रूस की सुरक्षा को खतरा हो सकता था। वहीं, यूक्रेन का कहना है कि यह उसकी स्वतंत्रता और संप्रभुता का उल्लंघन है, और वह अपनी रक्षा के लिए संघर्ष कर रहा है।
वर्तमान स्थिति:
संघर्ष में दोनों पक्षों की भारी हानि हुई है। यूक्रेन ने अपनी ज़मीन पर रूसी सैनिकों का मुकाबला किया और बड़ी संख्या में नागरिकों की मौत हुई है। रूस ने यूक्रेन की प्रमुख शहरों, जैसे कि कीव और मारियुपोल, पर हमले किए हैं, जबकि यूक्रेन ने रूस के कब्जे वाले इलाकों में कड़ा प्रतिरोध किया है। इस युद्ध ने लाखों लोगों को शरणार्थी बना दिया है, और कई देशों ने यूक्रेन को मानवीय सहायता भेजी है।
वैश्विक प्रभाव:
यह युद्ध केवल रूस और यूक्रेन तक सीमित नहीं है। रूस पर लगे अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों का असर वैश्विक अर्थव्यवस्था पर पड़ा है। ऊर्जा की कीमतों में वृद्धि, खाद्यान्न की कमी, और वित्तीय अस्थिरता का सामना दुनिया भर के देशों को करना पड़ा है। इसके अलावा, युद्ध ने वैश्विक राजनीति को भी प्रभावित किया है, खासकर नाटो, यूरोपीय संघ और अन्य देशों की भूमिका को लेकर।
संघर्ष के मानवाधिकार और मानवीय संकट:
युद्ध ने नागरिकों को बहुत प्रभावित किया है। संयुक्त राष्ट्र (UN) और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने इस संघर्ष को मानवाधिकारों का उल्लंघन बताया है, क्योंकि कई नागरिकों की हत्या, यौन हिंसा, और अन्य क्रूरता की घटनाएँ सामने आई हैं। लाखों लोग युद्ध के कारण अपने घरों से भागकर शरणार्थी बन गए हैं, जो कि एक बड़े मानवीय संकट का कारण बना है।